जगन्नाथ मंदिर रहस्य | Jagannath Puri Temple Facts 

नमस्कार मित्रों,

आज के इस आर्टिकल जगन्नाथ मंदिर रहस्य ( Jagannath Puri Temple Facts )के माध्यम से मैं आपको एक ऐसी अनोखी और अदभुत जगह के बारे में बताने जा रहा हूँ जो आम इंसान की समझ से बिलकुल परे है जहाँ पर कोई आवाज या विज्ञान काम नहीं करता। यहां हवा भी हमेशा उल्टी दिशा में बहती हुई महसूस होती है। विज्ञान भी यहाँ के रहस्यों को अभी तक नहीं समझ पाया। इस जगह पर १७ बार कई राजा महाराजाओं ने हमले करवाए, इतने हमले होने के बावजूद भी यह जगह बिलकुल सही और सुरक्षित है। यहाँ पर प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गाँधी को तक एंट्री की इजाजत नहीं मिली थी। 


History of Jagannath Temple
Jagannath Puri Temple Facts



इन बातों को ज्यादा उलझाए बिना मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं यहाँ पर बात कर रहा हूँ जगन्नाथ मंदिर की, जो भारत देश के ओडिशा  राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है और यह मंदिर अपने रहस्यों के लिए काफी चर्चा में रहता है। जगन्नाथ मंदिर में काफी सारी अदभुत, अनोखी और रहस्यमई घटनाएं हो चुकी हैं। जगन्नाथ मंदिर हिन्दू धर्म के पवित्र चार धामों में से एक है। इस जगन्नाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आज भी यहाँ स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी निवास करते हैं और यहां के कोने कोने और हवाओं में भगवान श्री कृष्ण जी का वास है। 


जगन्नाथ मंदिर के रहस्य | Mystery about Jagannath Temple

जगन्नाथ मंदिर ( Jagannath Temple ) का निर्माण १२वीं सदी में Ganga Dynasty King ने करवाया था। जगन्नाथ मंदिर के अंदर कई रहस्यमई बातें हैं जिनका उत्तर आज तक कोई नहीं ढूंढ पाया। 

जगन्नाथ मंदिर की सबसे पहेली रहस्यमई बात यह है कि यहाँ पर एक ऐसा झंडा है जो कि हवा की विपरीत दिशा में लहराता है या ये कह लीजिये कि हवा से अलग ही लहराता है। 

जगन्नाथ मंदिर के सबसे ऊपर एक चक्र है उस चक्र की खासियत यह है कि आप इस चक्र को किसी भी एंगल से देखिये यह आपको आपकी ही साइड में नजर आएगा। 

जगन्नाथ मंदिर को कुछ इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इस मंदिर कि परछाईं भी नहीं बनती। जगन्नाथ मंदिर के सामने अगर आप खड़े हो जाते हैं तो वहां पर आपको समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है और जब आप मंदिर के अंदर आ जाते हैं तो यह आवाज़ बिल्कुल गायब हो जाती है और फिर आपको बाहर का कुछ भी सुनाई नहीं देता। वैसे तो हमारे समुद्री तट पर हवा दिन के समय समुद्र से भूमि की ओर चलती है और शाम को भूमि से समुद्र की ओर चलती है पर यहां यह चीज एकदम उल्टी है और बिल्कुल अलग है। 

जगन्नाथ मंदिर की सबसे रहस्यमई बात ये है कि इस मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी या कोई भी एयरोप्लेन नहीं गुजरता। आपने अक्सर देखा होगा कि जितनी भी ऊँची जगह होती हैं वहां पर अक्सर पक्षी जाकर बैठ जाते हैं पर जगन्नाथ मंदिर पर कोई भी पक्षी नहीं बैठता। यहाँ की हर बात में रहस्य है। 

जगन्नाथ मंदिर की एक रहस्यमई बात ये भी है कि इस मंदिर में चाहे जितने लोग आ जाएं यहाँ पर प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता और न ही यहाँ पर कभी प्रसाद बर्बाद होता है। यहाँ जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद बनाने का तरीका भी बहुत ही अलग है।  चलिए हम आपको बताते हैं कि यहाँ पर प्रसाद कैसे बनाया जाता है ?

यहाँ पर प्रसाद ७ मिटटी के बर्तन में बनता है। इन सातों मिटटी के बर्तनों को आग पर एक के ऊपर एक रखते हैं, यहाँ सबसे खास बात ये है कि जो सबसे ऊपर बर्तन रखा जाता है उसका प्रसाद सबसे पहले बनता है फिर बारी-बारी से बाकी सारे बर्तन का प्रसाद बन जाता है और जो बर्तन सबसे आखिरी में होता है उसका प्रसाद सबसे बाद में बनता है वरना देखा जाए तो सबसे पहले नीचे वाले फिर बाद में सारे बर्तनों का प्रसाद पकना चाहिए पर यहाँ पहले ऊपर वाले बर्तन का प्रसाद पकता है फिर नीचे वाले बर्तन का। 

कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के टॉप पर जो झंडा है वह रोज बदला जाता है और अगर गलती से एक भी दिन अगर यह झंडा न बदला जाए तो यह जगन्नाथ मंदिर १८ साल के लिए बंद हो जायेगा। 

कहते हैं कि यहाँ जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण का दिल आज भी रखा हुआ है। जब भगवान कृष्ण ने अपना शरीर त्यागा था तब उनका शरीर तो पूरी तरह नष्ट हो गया था पर उनके दिल को कुछ नहीं हुआ था। उनका दिल बच गया था।  भगवान कृष्ण की मृत्यु जरा नामक शिकारी 

के तीर से हुई थी।  असल में बात ये है कि जरा को लगा कि जहाँ वो तीर मार रहा है वहां कोई हिरन है तो फिर उसने तीर चला दिया जो भगवान कृष्ण के पैरों में जाकर लगा। फिर उनका शरीर तो नष्ट हो गया था पर उनका दिल बच गया था। वही दिल आज भी जगन्नाथ पुरी में मूर्ति में है, जहाँ हर बारह साल बाद मूर्ति को बदला जाता है। जिस दिन यह काम होता है वहां की सरकार बिजली बंद कर देती है, जिससे कि  उसे कोई देख न पाए और इसको जो भी बदलता है उसकी आंखों पर पट्टी बांध देते हैं जिससे वह भी ना देख पाए। पुरानी मूर्ति में जो पदार्थ रहता है जिसे भगवान श्री कृष्ण का दिल माना जाता है उसे नई वाली में रख दिया जाता है और कहा जाता है कि गलती से किसी ने भी यह देख लिया तो उस इंसान कि मृत्यु हो जाती है। 


जगन्नाथ मंदिर का इतिहास | History of Jagannath Temple

जगन्नाथ मंदिर का इतिहास बहुत ही ज्यादा खतरनाक तथा बहुत ही ज्यादा बुरा रहा है। विदेशी लोगों ने, मुग़ल के राजा महाराजाओं ने यहाँ १७ बार हमला करवाया। 

पहला हमला - जगन्नाथ मंदिर पर पहला हमला सन १३४० में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह ने करवाया। 

दूसरा हमला - जगन्नाथ मंदिर पर दूसरा हमला वर्ष १३६० में दिल्ली के सुल्तान शाह तुगलक ने करवाया था। 

तीसरा हमला - जगन्नाथ मंदिर पर तीसरा हमला वर्ष १५०९ में बंगाल के सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह के कमांडर इस्माइल गाज़ा ने किया था पर प्रताप रुद्रदेव ने इसे हरा दिया था। 

चौथा हमला।- इस मंदिर ( Jagannath Mandir  ) पर चौथा हमला वर्ष १५६८ में काला पहाड़ नाम के एक अफगान हमलावर ने किया था। 

पांचवा हमला - पांचवां हमला वर्ष १५९२ में ओडिशा ( Odisha ) के सुल्तान ईशा के बेटे और गुट्टू खान के बेटे सुलेमान ने किया था। 

छठा हमला - जगन्नाथ मंदिर ( Jagannath Mandir ) पर छठा हमला वर्ष १६०१ में बंगाल के नवाब इस्लाम खान के कमांडर मिर्ज़ा खुर्रम ने किया था। 

सातवां हमला - जगन्नाथ मंदिर ( Jagannath Temple ) पर सातवां हमला ओडिशा के सूबेदार हाशिम खान ने किया था। 

आठवां हमला - इस मंदिर पर आठवां हमला हाशिम खान की सेना में काम करने वाले एक हिन्दू जागीरदार ने किया था। 

नवां हमला - जगन्नाथ मंदिर पर नवां हमला वर्ष १६११ में मुग़ल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल के बाटे ने किया था। 

दसवां हमला - इस मंदिर में दसवां हमला भी टोडरमल के बेटे ने किया था, इस हमले के दौरान मंदिर को पूरी तरह से लूट लिया गया था। 

ग्यारवां हमला - जगन्नाथ मंदिर पर ११वां हमला वर्ष १६१७ में दिल्ली के बादशाह जहांगीर के सेनापति मुकर्रम खान ने किया था। 

बारवां हमला - बारवां हमला वर्ष १६२१ में हुआ था , यह हमला ओडिशा के मुग़ल गवर्नर मिर्ज़ा अहमद बेग ने किया था। 

तेरहवां हमला - इस मंदिर पर तेरहवां हमला वर्ष १६४१ में ओडिशा के मुग़ल गवर्नर मिर्ज़ा मक्की ने किया था। 

चौदहवां हमला - चौदहवां हमला भी मिर्ज़ा मक्की ने ही किया था। 

पंद्रहवां हमला - जगन्नाथ मंदिर पर पंद्रहवां हमला आमिर फ़तेह खान ने किया था। 

सोलहवां हमला - सोलहवां हमला वर्ष १६९२ में मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने किया था। 

सत्रहवां हमला - जगन्नाथ मंदिर पर १७वां हमला वर्ष १६९९ में मुहम्मद तकीखान ने किया था। 


इतने सारे आक्रमण तथा इतनी घटना हो जाने के बाद भी हमारे पूर्वज उन मूर्तियों को बचाये रखे। 


जगन्नाथ मंदिर की प्रमुख मूर्ति | Jagannath Mandir ki murti

जगन्नाथ मंदिर में तीन प्रमुख मूर्ति हैं -

भगवान जगन्नाथ 

सुभद्रा 

बलभद्र 


निष्कर्ष ( Conclusion of Jagannath Puri Temple Facts )

इस मंदिर में बहुत हमले हुए हैं इसी वजह से यहाँ काफी तरह के प्रतिबन्ध हैं।  यहाँ सिर्फ सनातनी हिन्दू ही आ सकते हैं। अगर आप हिन्दू नहीं हैं तो फिर आपको यहाँ एंट्री नहीं मिलेगी। 

मित्रों ये थे जगन्नाथ से जुड़े रहस्य ( Jagannath Puri Temple Facts ) और जगन्नाथ मंदिर का इतिहास, अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आये तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें |