उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर | Famous Temples of Uttarakhand

नमस्कार मित्रों, आज के इस आर्टिकल में मैं आपको हमारे भारत की पावन भूमि उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर ( Famous Temple in Uttarakhand ) के बारे में बताने जा रहा हूँ जो कि आपको अपने जीवन में एक न एक बार जरूर घूमना चाहिए।  इन सभी मंदिरों का अपना अपना एक खास महत्व है।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर की सूचि |  List of Famous Temples of Uttarakhand


मित्रों , उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों (Famous temple in Uttarakhand) की सूचि इस प्रकार है - 


Uttarakhand Famous Temples
Famous Temple in Uttarakhand

1.   बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड | Badrinath dham, Uttarakhand

मित्रों, बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों ( Uttarakhand Famous Temple ) में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर ( Badrinath Mandir ) उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।  बद्रीनाथ मंदिर को बद्रीनारायण मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर चार धाम में से एक है। इस मंदिर में हर साल दूर दूर से लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं।  यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में ऋषि आदि शंकराचार्य ने की थी। बद्रीनाथ मंदिर ( Badrinath Temple ) आपको अपने जीवन में कम से कम एक बार जरूर देखने जाना चाहिए। 


2.   केदारनाथ धाम, रुद्रप्रयाग | Kedarnath Dham, Uttarakhand

केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Mandir ) भारत के उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ( RudraPrayag ) जिले में गढ़वाल हिमालयी रेंज पर स्थित केदारनाथ एक पवित्र हिंदू मंदिर ( Uttarakhand Famous Temple ) है।  केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। केदारनाथ मंदिर का अपना एक महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व है जिसकी वजह से हर साल यहाँ पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। कहते हैं कि केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple ) का निर्माण आदि शंकराचार्य के द्वारा किया गया था।  यहाँ के बारे में कहा जाता है कि यह पावन धरती मोक्ष के द्वार खोलती है। 

3.   कैंची धाम, भवाली | Kainchi Dham in Uttarakhand

मित्रों,  कैंची धाम मंदिर ( Kainchi dham mandir ) एक हनुमान मंदिर तथा आश्रम है जो हनुमान जी को समर्पित है । कैंची धाम मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल से 38 किमी दूर भवाली के रास्ते में स्थित है। कहते हैं कि इस आश्रम का निर्माण बाबा नीम करोली ने करवाया था। कैंची धाम ( Kainchi dham Temple ) देश विदेश हर जगह पर काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।  यहाँ पर स्टीव जॉब्स जो कि एप्पल कंपनी के फाउंडर थे तथा मार्क ज़ुकरबर्ग जो फेसबुक के CEO  हैं, ये लोग भी इस मंदिर में आ चुके हैं। आपको भी कैंची धाम जरूर घूमना चाहिए। 

4.   हनुमान गढ़ी, नैनीताल | Hanuman garhi temple in Nainital

मित्रों , हनुमान गढ़ी मंदिर ( Hanuman Garhi Mandir ) उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर ( Uttarakhand Famous Temple ) है और हनुमान जी को समर्पित है। कहता हैं कि हनुमान गढ़ी मंदिर १९५० में नीम करोली बाबा ने बनवाया था।  यह मंदिर नैनीताल का काफी प्रसिद्ध मंदिर है। मित्रों जब भी कभी आप नैनीताल जाएँ तो हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन अवश्य करें। 

5.   गंगोत्री मंदिर, उत्तरकाशी | Gangotri Mandir in uttarkashi in Uttarakhand

गंगोत्री मंदिर ( Gangotri Mandir ) हिन्दुओं का एक पवित्र मंदिर है। गंगोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सुरम्य शहर गंगोत्री में स्थित है तथा यह एक काफी प्रसिद्ध मंदिर है । यह गंगोत्री मंदिर ( Gangotri Temple ) देवी गंगा को समर्पित है। यह गंगोत्री मंदिर ग्रेट हिमालयन रेंज में लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई भागीरथी नदी के तट पर पर स्थित है। गंगा गंगोत्री से ही निकलती है । गंगा का वास्तविक स्रोत गंगोत्री ग्लेशियर है जिसे गौमुख भी कहा जाता है । 


6.   यमुनोत्री मंदिर, उत्तरकाशी | Yamunotri Temple

मित्रों, यमुनोत्री मंदिर ( Yamunotri Mandir ) हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है और यमुनोत्री मंदिर देवी यमुना को समर्पित है। यमुना भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। मित्रों यमुना नदी का उद्भव यमुनोत्री मंदिर से ही हुआ है।  कहते हैं कि यहाँ दो पवित्र कुंड हैं सूर्य कुंड तथा गौरी कुंड।  हर साल यमुनोत्री मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। 

7.   पूर्णागिरि मंदिर, चम्पावत | Purnagiri Mandir in Champawat, Uttarakhand

पूर्णागिरी मंदिर ( Purnagiri Mandir ) एक काफी प्रसिद्ध मंदिर है तथा पूर्णागिरी मंदिर भारत में उत्तराखंड राज्य के चंपावत जिले के टनकपुर शहर में पूर्णागिरी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। पूर्णागिरी मंदिर ( Purnagiri temple ) को शक्तिपीठ भी मन जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर सती माता की नाभि गिरी थी।  यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है और यह मंदिर शारदा नदी के किनारे स्थित है। हर साल यहाँ एक मेला लगता है और इस मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु दूर दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। 

8.   मनसा देवी, हरिद्वार | Mansa Devi mandir, UttaraKhand

मनसा देवी मंदिर ( Mansa Devi Mandir ) हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है ( Uttarakhand Famous Temple ) जो हरिद्वार में बिलवा पर्वत पर स्थित है । यह मंदिर देवी मनसा को समर्पित है ।  देवी मनसा को पुराणों में भगवान शंकर की पुत्री के रूप में मान्यता प्राप्त है। मनसा देवी मंदिर ( Mansa Devi Temple ) में हर साल काफी भक्त मनसा देवी के दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते हैं। 


9.   तुंगनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग | TungNath Mandir, Rudraprayag

मित्रों तुंगनाथ मंदिर Uttarakhand के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। तुंगनाथ मंदिर ( TungNath Temple ) भगवान शिव का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है और यह काफी पुराना मंदिर है।  

10. हर की पौड़ी, हरिद्वार | Har ki Pauri in Haridwar, Uttarakhand

हर की पौड़ी ( Har ki Pauri ) हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे पर स्थित एक ऐतिहासिक स्थल तथा एक प्रसिद्ध घाट है। हर की पौड़ी को हरिद्वार में भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र तथा पहाड़ों से पवित्र गंगा नदी के बाहर निकलने का स्थान माना जाता है।  विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती हर की पौड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र में होती है। हर साल हर की पौड़ी में  काफी श्रद्धालु आते हैं। 

11. दक्ष महादेव मंदिर और सती कुंड, हरिद्वार | Daksh Mahadev Mandir 

दक्ष महादेव मंदिर( Daksh Mahadev Mandir ) और सती कुंड ( Sati Kund ) उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार से कुछ दूर कनखल में है।  दक्ष महदेव मंदिर को दक्षेस्वर महादेव मंदिर ( Daksheswar Mandir ) भी कहते हैं।  इस दक्ष महादेव मंदिर के गर्भगृह में आपको सती कुंड भी मिलेगा । अगर दक्ष महादेव मंदिर ( Daksh Mahadev Temple ) की पौराणिक कथा के बारे में बात करें तो ये इस प्रकार है -

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती जो कि भगवान शिव की पहेली पत्नी थी ।  उनके पिता राजा दक्ष प्रजापति ने इस स्थान पर यज्ञ किया था हुए उन्होंने इस यज्ञ में भगवान शिव को नहीं बुलाया था। इस बात पर अपमानित महसूस करते हुए सती ने यज्ञ कुंड में खुद को जला लिया। यह सुनकर भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपने अर्ध-देवता वीरभद्र और शिव गणों को कनखल युद्ध करने के लिए भेज दिया।  वीरभद्र और शिव गणों ने वहां जाकर उस भव्य यज्ञ को नष्ट कर दिया और राजा दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया। फिर बाकि और लोगों के अनुरोध करने पर भगवान शिव ने दक्ष को फिर से जीवन दान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया ।  फिर राजा दक्ष को अपनी गलतियों का अहसास हुआ और उन्होंने फिर भगवान शिव से माफ़ी मांगी। 

फिर भगवन शिव सती के मृत शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाने लगे।  फिर भगवान विष्णु ने देवी सती के शरीर को भगवान शिव से अलग करने के लिए उनके शरीर के कई टुकड़े किये फिर ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वहां शक्तिपीठ बन गए। 

मित्रों ये थी दक्ष महादेव मंदिर से जुडी पौराणिक कथा।  आपको भी ये दक्ष महादेव मंदिर जरूर घूमने जाना चाहिए। 

मित्रों ये थे उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर ( Famous Temples of Uttarakhand ) जहाँ आपको अपने जीवन में कम से कम एक बार जरूर घूमना चाहिए।